छठ पूजा 2024: जानें इस महापर्व के नियम और जरूरी बातें
Chhath Puja 2024 ke Niyam:
छठ पूजा, जो इस वर्ष 2024 में कार्तिक माह की शुक्ल चतुर्थी से आरंभ हो रही है, एक पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व है। इस महापर्व में उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है, और यह चार दिनों तक मनाया जाता है। इस पूजा में महिलाएं 36 घंटे का कठिन व्रत करती हैं, जिसमें पानी भी नहीं पिया जाता।
छठ पूजा भारतीय संस्कृति में सुख-शांति, संतान सुख और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए विशेष माना गया है। इस दौरान व्रतियों और उनके परिवार के सदस्यों को धार्मिक और आहार संबंधी नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। आइए जानते हैं इस पवित्र पर्व के नियम और कुछ खास बातें:
1. सात्विक आहार का पालन करें
छठ पूजा के दौरान व्रति और उनके परिवार के सदस्यों को लहसुन, प्याज और मांसाहारी भोजन से परहेज करना चाहिए। सात्विक आहार से मन में शुद्धता बनी रहती है और श्रद्धा भाव को बल मिलता है।
2. व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण नियम
व्रति महिलाएं 36 घंटे का उपवासी व्रत करती हैं। इस दौरान भोजन, और पानी भी नहीं लिया जाता। व्रत को पूरी श्रद्धा के साथ निभाने से मानसिक और शारीरिक शुद्धता मिलती है।
3. छठ पूजा की विधि-विधान
छठ पूजा का शुभारंभ "नहाय-खाय" से होता है, और यह चार दिनों तक चलती है। तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन उषा अर्घ्य देकर पूजा का समापन किया जाता है।
4. साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें
पूजा के दौरान शुद्धता बहुत जरूरी है। सूर्यास्त और सूर्योदय के समय अर्घ्य देते वक्त किसी भी प्रकार की विघ्न-बाधा से बचें।
छठ पूजा का उद्देश्य
यह पर्व संतान सुख, समृद्धि और परिवार की खुशहाली के लिए मनाया जाता है। इस कठिन व्रत को सही तरीके से निभाने से जीवन में खुशहाली और सौभाग्य का संचार होता है।
छठ पूजा 2024 की आवश्यक सामग्री
पूजा की विधि-विधान को पूरा करने के लिए जरूरी सामग्री में शामिल हैं:
- बांस की टोकरियां, नारियल, गन्ना, शकरकंदी, सिंघाड़ा, सुपारी, पान, फल (जैसे केला, नाशपाती), चावल, दीपक, सिंदूर, कलावा, कुमकुम, और शहद।
- विशेष पकवान: ठेकुआ, गुड़, गेहूं, चावल का आटा।
छठ मैय्या की आरती Chhathi Maiya Ki Aarti
जय छठी मईया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
...और अंत में छठी मईया की आरती का पाठ करना न भूलें। इस पर्व पर माता से सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करें और पर्व को श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाएं।
Disclaimer: यह जानकारी मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। कोई भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।